दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली ने टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर का इंटरव्यू लिया है। BCCI ने बुधवार को इसका वीडियो पोस्ट किया। 19 मिनट 19 सेकेंड के इस वीडियो इंटरव्यू में दोनों ने क्रिकेट जर्नी, अचीवमेंट और विवाद पर बात की।
गंभीर ने बताया कि वे ढाई दिन तक चली पारी के दौरान ‘हनुमान चालीसा’ सुन रहे थे। उन्होंने बताया कि कोहली 2014-15 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हर ड्रीम रन में ऊं नम: शिवाय का जाप कर रहे थे।
विपक्षी खिलाड़ियों से बहस के सवाल पर गंभीर ने कहा- आप मुझे बेहतर जवाब दे सकते हैं। IPL-2023 में विवाद के बाद गंभीर-कोहली के बीच मनमुटाव की खबरें थीं। इस पर दोनों ने कहा कि हम बाहर के सारे मसाले खत्म करने आए हैं।
टॉप मोमेंट्स
- सारा मसाला चैट खत्म कोहली ने इंटरव्यू की शुरुआत यह कहते हुए की, कि हम बाहर के सारे मसाले खत्म करने आए हैं। इस पर दोनों ठहाके मारकर हंसने लगे। दरअसल, दोनों के मैदान पर कई विवाद हो चुके हैं और दोनों ही एग्रेशन के लिए जाने जाते हैं।
- कोहनी कांड पर सवाल नहीं भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज पर सवाल करते हुए कोहली ने कहा- मैं आपसे कोहनी कांड के बारे में सवाल नहीं करूंगा, फिर हंसने लगे। 2009 में दिल्ली टेस्ट के दौरान गंभीर ने शेन वॉर्न को कोहनी मारी थी। इस बाद विवाद हुआ था।
- आप बेहतर जवाब दे सकते हो कोहली ने गंभीर से पूछा कि जब विपक्षी टीम के खिलाड़ी से बहस होती है, तो आप डिस्ट्रेक्ट होते हो या फिर बेहतर करने के लिए और ज्यादा मोटिवेट होते हो। इस पर गंभीर ने कहा- आप बेहतर जवाब दे सकते हो। फिर दोनों हंसने लगे।
पढ़िए पूरा इंटरव्यू…
कोहली- हमने काफी समय तक साथ खेला। करियर के दौरान कभी आपने सोचा था कि आप किसी टीम के कोच बनेंगे? गंभीर- सच यह है कि, 2 महीने पहले तक टीम इंडिया का कोच बनने के बारे में नहीं सोचा था। यदि आप मुझसे इसके पीछे का कारण पूछो तो मैं कहूंगा कि देश को दूसरी बार रिप्रिजेंट करना आपके लिए सम्मान की बात होती है। उस ड्रेसिंग रूम में वापसी करना खास है, जहां आपने बहुत सारा समय बिताया हो या कुछ विशेष किया है या जहां की कुछ शानदार यादें हों।
आगे की बात करूं तो बहुत सारी बातें है, जिनकी ओर आप देख रहे हो। जैसे- चैंपियंस ट्रॉफी, 3 टी-20 वर्ल्ड कप और वनडे वर्ल्डकप। यही वह कारण है, जिसकी वजह से मैंने कहा कि हां, मैं इसमें योगदान दे सकता हूं। खासकर तब जब आपका परिवार छोटा हो और आपको 10 महीने से ज्यादा समय दो बेटियों से दूर बिताने पड़े। तो यह कठिन होता है, जब तक की आपकी फैमली आपको सपोर्ट न करें। ऐसे फैसले लेना हमेशा कठिन होता है।
कोहली- मेरा पहला टारगेट दिल्ली के लिए रणजी खेलने का था। जब आप टेस्ट टीम में थे तो आपका माइड सेट क्या था? गंभीर- वो चीजें मैं आज भी महसूस करता हूं, मुझे याद है कि मैंने टेस्ट से पहले वनडे डेब्यू किया था और मेरे लिए सबसे स्पेशल मोमेंट पॉल उमीगर टेस्ट कैप रिसीव करना था। आज भी वह मेरे करियर की सबसे बड़ी मेमोरी है।
जब हम बड़े हो रहे थे, तब टी-20 फॉर्मेट नहीं था और न ही IPL। इसलिए हमारे पास नेशनल टीम में सिलेक्ट होने के लिए सिर्फ फर्स्ट क्लास क्रिकेट ही था। सभी चाहते हैं कि वनडे क्रिकेट खेलें, लेकिन हमारे जहन में हमेशा रहता था रेड बॉल क्रिकेट में हम जैसा प्रदर्शन करेंगे, हमें वैसे ही जज किया जाएगा।
यही सबसे बड़ा कारण है कि आपको टेस्ट क्रिकेट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी माना जाता है, क्योंकि टी-20 के आने के बावजूद आपने जिस तरह से टेस्ट को बचाए रखा है, वो युवाओं को प्रेरित करेगा।
कोहली- टेस्ट में मुझे चैलेंज सबसे ज्यादा पसंद है। इसी से मैं ट्रांजिसन से गुजर रही टीम में नया कल्चर ला पाया। आज आपका पॉइंट्स ऑफ व्यू क्या है, वैसा कल्चर बनाने के लिए? गंभीर- आपने बहुत मजबूत बॉलिंग यूनिट तैयार की। जब तक आपके पास मजबूत बॉलिंग लाइनअप नहीं होगा, तब तक आप नहीं जीतोगे। क्योंकि रन बनाने वाले 6-7 मजबूत बल्लेबाजों को रखना बहुत आसान है, लेकिन जैसी आपने पहचान बनाई है। उसमें भी पेसर्स के साथ आपका रवैया, विदेश में जीतना। यही मानसिकता है, जो हम चाहते हैं। यही वो कल्चर है।
कोहली- मैं आपसे उस पारी के बारे में पूछना चाहूंगा, जिसमें आपने होम ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोहरा शतक जमाया था। उस पारी में आपका माइंडसेट क्या था? गौतम- शानदार सवाल, यह जरूरी भी है। मुझे याद है कि उस सीरीज में आपने खूब रन बनाए थे। मुझे यह भी याद है कि आप मुझसे कहते थे कि हर बॉल से पहले ‘ऊं नम: शिवाए’ कहो। फिर आप उस जोन में पहुंच गए, जो मेरे लिए ठीक वैसा था जैसा मैं नेपियर में खेला था।
अब सोचता हूं कि क्या मैं ढाई दिन बल्लेबाजी कर सकता हूं, तो मुझे लगता है कि मैं ऐसा कभी नहीं कर सकता हूं। उन ढाई दिनों में मैंने हनुमान चलीसा का पाठ किया। आपके लिए जो काम ऊं नम: शिवाए करता था, मेरे लिए वह हनुमान चालीसा ने किया था।
कोहली- उस जोन में सबसे बड़ा फैक्टर होता है जीत और मोटिवेशन होता है। मुझे पता होता है कि रन चेज में कब क्या करना है। क्या आप भी ऐसा ही महसूस करते हैं? गौतम- एक युवा मेरे पास आया और पूछा कि आप रन रेच कैसे प्लान करते हो। रन चेज का एक ही तरीका है कि आप किसी इंडिविजुअल स्कोर को मत देखो। आपको यह देखना है कि आपको क्या अचीव करना है। आप कहां पहुंचना चाहते हैं। वह टारगेट क्या है, जहां आप पहुंचना चाहते हैं।
लोग मुझे 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में खेले गए उस शॉर्ट के बारे में पूछते हैं कि आपने वह शॉर्ट क्यों खेला। तब मेरे दिमाग में केवल टारगेट था, न कि मैं सेंचुरी से कुछ रन दूर हूं या मैं इसे कैसे सेलिब्रेट करूंगा। और मेरा रिएक्शन इसलिए नहीं था कि मैं वर्ल्ड कप फाइनल में सेंचुरी जमाने वाला पहला भारतीय बनने से चूक गया। वह रिएक्शन इसलिए था, क्योंकि मैंने प्रतिद्वंद्वी को वापसी का एक मौका दे दिया। यही वे छोटी-छोटी चीजें हैं, जिनके बारे में नई पीढ़ी सोचेगी। मेरे हिसाब से वर्तमान में रहना सबसे महत्वपूर्ण है। क्योंकि, आप क्रिकेट में एक मोमेट को कंट्रोल कर सकते हो। मुझे लगता है कि मेंटल टफनेस पर भी निर्भर करता है।